To the Hindu Fascist Government of India,
A couple of days ago, you hanged one of India’s most loyal sons. I, and I am sure, many responsible, liberal citizens of this secular, democratic nation were outraged by this great travesty of justice. It is a sad tale that even after 22 years of prolonged hearing, our judicial system was unable to arrive at the right judgement. It is a known fact that your Home Minister rushed to the President to ask him to reject Yakub Memon’s mercy petition and ensure that justice was denied to poor, honest Yakub Bhai. News reports from across this secular nation indicate that thousands of secular-hearted Indians could not sleep on the night of Yakub Bhai’s hanging, troubled as they were by what these ominous signs portend for our secular-liberal nation. Surely, the Hindu fascist government that leads this country, has committed a grave sin by hanging one of India’s greatest patriots and has exposed its communal mindset once again. However, one must always be an optimist. As an avowedly secular, modern, liberal, I demand that the Hindu fascist government that rules at centre, take the following steps to reinstate the confidence of the masses in our systems and institutions-
1. Reservations must be implemented in our process of judicial sentencing. By that, I mean that if Hindus make up 80% of India’s population, 80% of those who are sentenced to death must at all times be Hindu. Similarly, if Muslims make up 15% of our population, not more than 15% of all those who are sentenced to death must be Muslim. If this rule is not adhered to India will lose the moral right to call itself secular among other nations of the world.
2. Criminal cases pertaining to minorities must be heard by the Courts a minimum of 5 times. For example, if a member of the minority community is accused of a crime, his case must be heard in the following order: Lower court->High Court->Supreme Court-> President->Lower Court->High Court-> Supreme Court->President and so on for a minimum of 5 iterations. If during any of these steps, the accused is found Not guilty, all hearings must be suspended immediately and the accused must no longer be subjected to further appeals in higher courts.
Read: These should be the new role models for media
3. If at all, a respected member of minority community is sentenced to death because of the corrupt judicial system, all of his family members must be given government jobs and at least one member of his family must be given a Rajya Sabha seat as an apology for the heinous crime of having hanged a member of a respectable minority community.
4. Members of the majority community must be explicitly banned from filing cases against any member of the minority community. If at all such a case finds its way into our courts and if at any time it is proven that the case was based on false premise, the member from the majority community who had filed such a case must be sternly punished.
5. Days of martyrdom of modern patriots- Yakub Memon, Afzal Guru, Ajmal Kasab must replace religious holidays such as Diwali, Dusshera, Rakhi from the government calendar. This will promote a better understanding amongst citizens of the country.
6. All members of the majority community, accused of crimes, whether proven or not must be handed out the strictest punishment immediately,as a proof of this Hindu Fascist government’s resolve to repent Yakub Bhai’s judicial murder.
It is my firm belief, that the present Hindu fascist government can redeem itself in the eyes of the secular majority of this nation only if they implement the above recommendations immediately without delay. Should they fail however to do this, they would reinforce the belief that this government is a Hindu fascist, communal administration that intends to oppress the minorities of our nation and betray the lofty secular ideals that form the cornerstone of our national identity.
Yours truly
A heartbroken Secular Liberal
let’s purpose the title of #RaastraPita for #miyaaYakubMemon
:P
Bhai… Yakub most loyal Indian kab ban gya??? Jab usne bomb blasts kiye?? While it cannot be denied that Yakub had committed a sinful crime by bombing innocent people and that no punishment can ever be enough for such a shameful act, I strongly feel that similar strict laws should also apply to terrorists of other religions, be it Hinduism/Islam/Sikhism/Christianity or anything else….. nd if you want martyrdom days for Yakub…. then USA may also celebrate a martyrdom day for Osama Bin Laden…. lolz… kidding me!
Open resignation to judiciary.
http://www.indiatomorrow.net/eng/deputy-registrar-of-supreme-court-resigns-protesting-against-memons-hanging
the frustrated jansangi…. do sth for 2002 n 1984 riots victim.. makkah masjid and ajmer dargah blastsss
कल से कई पोस्ट आये जो मेरे गैर मुस्लिंम भाइयों ने किए थे,उनके पोस्ट को पढ़ के लगा की वो कुछ गलतफेहमी में है,कुछ तो सियासी मेढंक थे जो की टर्र टर्र कररहे थे।खैर इनकी कोई बात ही नही इनकी फितरत ही है लाशो पे अपनी रोटी सेकना।
लेकिन मै कुछ बाते साफ़ करना चाहूँगा कि और अपने भाइयों की गलतफेहमि दूर करना चाहूँगा…—–
जैसा कि लोग कह रहे है कि देश के मुसलमान याक़ूब मेनन का समर्थन इसलिए कररहे है क्यूकि वो एक मुस्लमान था।ये सरासर गलत है।हाँ मै कुछ फीसदी इस बात पे सहमत हूँ लेकिन ये बात गलत है।अगर बात सिर्फ मुस्लमान की ही है तो
मो0आमिर अजमल कसाब कौन था????
अफजल गुरु कौन था???
क्या ये मुसलमान नही थे???
क्या इनको फांसी नही दी गयी???
कितने मुसलमान इनके समर्थन में खड़े हुए थे???
40 तो दूर 4 लोगो ने भी इनकी शिफारिश राष्ट्रपति से नही की थी।
फिर ये याक़ूब में इतनी दिलचस्पी क्यू हो गयी लोगो की???
क्या इनके सुर्खाब के पंख लगे थे???
नही….——
फिर????
तो सुनिए
पहली बात– देश का कोई भी मुसलमान धर्म के नाम पे याक़ूब के समर्थन में नही उतरा।
दूसरी बात–अभी तक किसी भी मुस्लिम ने ये नही कहा कि याक़ूब मेनन बेकसूर था।और न ही किसी ने ये मांग की कि याक़ूब को रिहा किया जाए।
यहां समर्थन इस बात के लिए था कि ये फंसी का हकदार नही है।यदि इसकी फांसी में इतनी देरी न होती तो इतना बवाल न होता।
तीसरी बात–धर्म की वजह से याक़ूब का समर्थन नही किया जा रहा था ज़्यादातर समर्थक हिन्दू और दूसरे धर्म के थे।लिहाजा यहां धर्म की बात करना महज़ सियासी हत्कंडे है।
चौथी बात–हम अदालत के फैसले का सम्मान करते है।उसका हर फैसला हमे क़ाबिले क़ुबूल है।
मै बताता हूँ कि क्यू इतने लोग याक़ूब मेनन के समर्थन में उतरे******
ज़रा ये बताईये की आत्मसमर्पण का मतलब क्या हुआ????
एक आदमी किस आधार पे सिरेन्डर करता है???
अगर एक आदमी को ये पता हो कि उसे आत्मसमर्पण करने पर भी मार दिया जायेगा तो वो कभी भी अपने आपको पुलिस के हवाले नही करेगा।वो यही सोचेगा कि मरना वहां भी मरना यहाँ भी है तो क्यू न यही आराम से मरा जाये।क्या फायदा आत्मसमर्पण का जब जेल में सड़ के आखिर में फांसी मिलनी है।
इतिहास के पन्ने पलटिये एक नही हजारो ऐसी घटनाये मिल जाएँगी जिसमे खुद को सिरेंडर करने वालो की जान बख्श दी गयी।
मै दूर की बात नही करता खुद हमारे मुल्क में ही हज़ारो बेगुनाहो और सैनिको का खून बहाने वाले नक्सलियों की जान तो बख्शी ही गयी साथ में उन्हें लाखो रुपये दे कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया गया।
नक्सली तो इंडिया में ही रहते है जब उन्हें गिरिफ्तार करना इतना मुश्किल है तो फिर जो बाहर मुल्क में है उन्हें गिरफ्तार करना कितना मुश्किल होगा????
ऐसे हालात में कोई पाकिस्तान से आकर खुद को इंडिया में सिरेन्डर करता है तो ये उसकी अच्छी सोच है और अधिकारियो पे किया गया एक अहसान है क्यू की उसने खुद को फसा कर इन अधिकारीयों की जान बचाई।
एक आदमी जो की अपने परिवार के साथ पाकिस्तान मे हो वो इस मुल्क के कानून पे भरोसा करता है अपनी जान जोखिम में डालता है अपनी किये की सज़ा भुगतने के लिए इंडिया आता है,अपने भाई टाइगर मेनन और दाऊद से पंगा लेकर उनके और ISI के खिलाफ सारे सुबूत indian agencies को सौंपता है।22 साल जेल में रह कर अपनी सज़ा काटता है।
ऐसे में क्या इसे फांसी दी जानी चाहिए???
ये बात मै नही RAW के पूर्व चीफ स्व0श्री रमन जी ने अपनी डायरी में कही है जो की मुस्लिम नही है।
जिस आधार पे याक़ूब को फांसी की सज़ा हुई है वो दलीले और सुबूत कमज़ोर है।न तो याक़ूब ने अपना ज़ुर्म कबूला,न ही इस बात के सुबूत मिले की याक़ूब मेनन ने बम प्लांट किया या बनाया।कोई चश्मदीद गवाह भी नही मिले।
जिस गवाह के बयान को आधार माना गया वो अपने बयान से 2 बार पलट चूका है।पहले कुछ और बोला था और बाद में याक़ूब के खिलाफ बोला।इंडिया में पुलिस थर्ड डीगरी देकर तमाम यातना देकर कैसे बयान लेती है ये सब जानते है।लिहाज़ा याक़ूब को फाँसी नही दी जानी चाहिए।
ये बात भी मै नही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के president श्री काटजू जी ने कही है।को की मुस्लिम नही है।
pm का कातिल माफ़
cm का क़ातिल माफ़
गुजरात के क़ातिल घूम रहे
सिख दँगो के क़ातिल घूम रहे
मक्का मस्जिद,मालेगाव ,अजमेर ,अच्चरधाम ब्लास्ट के क़ातिल घूम रहे है।
आरोप भी तय है जुर्म भी साबित हो चूका है फिर भी जांनबुझ के देरी की जा रही है???
क्या ये सही है???
ये भेदभाव् नही तो और क्या है???
यही वो बात थी जिसके बुनियाद पे मुस्लिम के साथ साथ इस मुल्क के ज़िम्मेदार लोग,पढ़े लिखे लोग और खुली सोच ररखने वालो ने याक़ूब का समर्थन किया।
क्या ये समर्थन गलत था??
जिन 40 लोगो ने दया याचिका भेजी थी उसमे भी सब मुस्लिम नही थे।और आज जिस सलमान खान को जो लोग भला बुरा कह रहे है यही वो लोग है जब सलमान ने मोदी के साथ पतंग उड़ाई थी तो सलामन के गुडगान करते फिर रहे थे।आज इनलोगो को क्या हो गया है???
सलामन इतना बुरा कैसे होगया??
न वक़्त बदला है न सलमान ।बदल तो ये लोग गए है।
और आखरी बात हमारी देशभक्ति पे शक मत करो।इतिहास गवाह है हमने कहीं-बहादुर शाह ज़फ़र,टीपू सुलतान,बेगम हज़रत महल और अशफ़ाक़ुल्ला खान,बनके दुश्मनो के छक्के छुड़ाए है तो कहीं-वीर अब्दुल हमीद बनके सीमा में घुस के पकिस्तानियो की नाक काटी है।तो कहीं अब्बदुल कलाम बन के भारत को परमाणु बॉम्ब और दर्जनों मिसाइल दे कर दुनिया के नक्से में जगह दिलाई है।
आज भी हम वही है बदले नही है।बदली है तो आपकी सोच,हमे देखने का नज़रिया बदला है।
हम नही बदले है***
जय हिन्द
well said bro!