भारत देश आज एक गंभीर समस्या से जूझ रहा है| वह समस्या जो पाक अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से शुरू हुयी है| पूर्व में आपने टीवी, रेडिओ और विभिन्न समाचारपत्रों में देखा, सुना और पढ़ा होगा कि किस प्रकार देश के जवानों ने उरी आतंकी हमले के तुरंत बाद सीमापार स्थित आतंकवादियों के ठिकानों को बर्बाद कर दिया| लेकिन आज देश के राजनैतिक दल, सेना द्वारा की गयी कार्यवाही के सबूत मांग रहे हैं|
आप जानना चाहेंगे कि ऐसा क्यों हो रहा है?
सर्जिकल स्ट्राइक के साक्ष्य इसलिए नहीं मांगें जा रहें है कि किसी एक भी राजनैतिक व्यक्ति को भारतीय सेना के सामर्थ्य पर कोई शक हो, कतई नहीं है बल्कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि एक प्रधानमंत्री, माननीय राष्ट्रपति जी की संस्तुति पर सेना को इतनी निर्भीकता से आदेश कैसे दे पा रहा है, जिसका राजनैतिक लाभ अन्य दलों को नहीं मिल पा रहा है| वास्तव में सर्जिकल स्ट्राइक के इन साक्ष्यों को ढाल बनाकर विभिन्न दल प्रधानमंत्री द्वारा की गयी किसी एक गलती की तलाश में हैं जिससे लेकर वे अगले चुनावों में मुद्दा बना सकें| राजनैतिक दलों के माथों पर खिचीं चिंता की लकीरें यह दर्शा रही है कि देश का प्रधानमंत्री पूर्व में किये गए वादों (पाकिस्तान जिस भाषा में समझे, उस भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए) पर क्रियान्वित है| देश की राजनीति ऐसी प्रलयकारी दिशा की ओर अग्रसर है जिसमे किसी एक व्यक्ति के विरोध के लिए नेतागण राष्ट्र की सुरक्षानीतियों तक को ताक पर रखने को तैयार हैं|
अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है किस प्रकार से आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान जी ने संसद की सुरक्षा व्यवस्था का विडियो सार्वजनिक कर देश की सुरक्षा एजेंसियों को सकते में डाल दिया था| उनके इस कृत्य की वजह से उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था|
दूसरे परिपेक्ष में अगर हम देश की सुरक्षा की बात करें तो पायेंगे कि किस प्रकार से कुछ लोग उन बेहद संवेदनशील विडियोज को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं जो सर्जिकल स्ट्राइक के समय भारतीय सेना ने बनाये थे| मुझे बतौर एक भारतवासी होने के नाते लगता है कि उन वीडियोज का सार्वजनिक होना भारतीय सेना की योजनाओं और गुप्त रणनीतियों को सार्वजनिक करना होगा| जिनके सार्वजनिक होने के बाद सीमापार घुसपैठ के लिए बैठे पाकिस्तानी आतंकवादी पहले से ज्यादा सतर्क होकर, इस प्रकार की होने वाली किसी भी कार्यवाहियों के तोड़ ढूंढने में जुट जायेंगे|
भारतीय सेना के विशेष बल को सीधे कार्रवाई, बंधकों को रिहा कराने, आतंकवाद से निबटने, गैर पारंपरिक युद्ध कौशल, विदेशी आतंरिक रक्षा, विद्रोही गतिविधियों से निबटना, तलाश कर नष्ट करने और लोगों को बचाने जैसे अभियान में लगाया जाता है। आने वाले समय में जब ऐसे सभी कार्यवाहियों पर जिन्हें अतिविशिष्ट और बेहद सटीक खुफिया सूचनाओं के आधार पर अंजाम दिया जाता है के विडियो फूटेज मांगे जायेंगे तो निश्चित ही सेना की रणनीतियां नित प्रतिदिन कमजोर पड़ती चली जायेंगी| सीमा पार की जा रही इस प्रकार की सफल कार्यवाहियों से भारतीय सेना को अभी जिस प्रकार से सकारात्मक मनोवैज्ञानिक लाभ पहुँच रहा है, भविष्य में मुझे लगता है ये लाभ उतने प्रभावशाली नहीं रहेंगे क्यूंकि सेना द्वारा बनायीं जा रहीं गुप्त रणनीतियों से जुड़े दस्तावेज सार्वजानिक हो जायेंगे और इनकी वजह से भारतीय सेना को होने वाले खतरे और नुकसान की प्रतिशतता कई गुना बढ़ जायेगी| जबकि इसके विपरीत सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अभियानों में होने वाली सफलता(बिना किसी शहादत के कार्यवाही को अंजाम देकर सुरक्षित वापस लौटना) का प्रतिशत कम होता चला जाएगा|
गत वर्षों में सेना से जुड़े अभियानों पर न्यूज चैनलों पर वाद-विवाद नहीं होते थे| परन्तु आज देशवासियों को चाहे वे किसी भी क्षेत्र से(बॉलीवुड, बौद्धिक या राजनैतिक वर्ग) जुड़ाव रखते हों, आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है कि हम कहाँ पर खड़े हैं| हमारे लिए देश की आंतरिक सुरक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण रखती है या फिर सेना के अभियानों से जुड़े गुप्त दस्तावेज और अतिसंवेदनशील वीडियोज| भारतीय सेना को इस कठिन समय में गंभीर बीमारी “आतंकवाद” के खिलाफ देश के नागरिकों से समर्थन की जरुरत है ना कि उन पर प्रश्नचिन्ह उठाने की आवश्यकता|
एक मार्मिक शायरी सेना की जवानों की तरफ से दर्शाती है कि वे इस समय क्या महसूस कर रहे होंगे- “जनाजे लौटकर आते तो सबूत मिल जाते, सलामत आ गए जांबाज, तो ये बदिकिस्मती हो गयी| जो ना लौटे कुछ शहीद तिरंगे में लिपटकर घर, तो अपनी फ़ौज की नीयत पर शक गहरा गया| नाउम्मीद हो रहें है हम अब इस वतन से दोस्तों, जहाँ सिपाही के जिन्दा आने पर जीत का सबूत माँगा गया|”