कुछ ही दिनों पहले सोशल मीडिया पे एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दो स्कूली छात्र एक तीसरे छात्र को बुरी तरह से पीट रहे थे। यह वीडियो बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित केंद्रीय विद्यालय का था, वीडियो वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आ गया, सर्वप्रथम स्कूल के तरफ से ही एफआइआर करवाई गयी और अगले ही दिन पीड़ित छात्र के परिजनों ने भी एफआइआर दर्ज करवा दी। पुलिस ने भी तत्काल करवाई करते हुए दोषी छात्रों को गिरफ्तार कर लिया, छात्र क्योंकि नाबालिग थे इसलिए उन्हें सुधार गृह में भेज दिया गया। स्कूल प्रबंधन ने भी करवाई करते हुए प्रधानाचार्य सहित पंद्रह शिक्षकों का तबादला कर दिया।
मामला यहीं पे खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन हमारे देश में जबतक किसी मामले में जातीय और राजनीतिक रोटियां नहीं सेंक ली जाएँ वो मामला ठंडाता नहीं है।
कुछ मीडिया हाउस, प्रमुखतः एनडीटीवी ने पीड़ित छात्र के दादा के हवाले से अपनी वेबसाइट पे एक लेख डाला जिसमें उक्त छात्र की जाती बतलाई गयी, बताया गया कि पीड़ित छात्र दलित है और छात्रों के आपसी विवाद को जातीय रंग दे दिया गया
अब जहाँ दलित का नाम आता है वहां राजनीति तेज हो जाती और इस बार बहती गंगा में हाथ धोने के लिए पहुँच गए बिहार बीजेपी के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी। सुशील मोदी सबसे पहले पीड़ित छात्र के परिवार से मिले, कार्यवाही का भरोसा जताया मगर उसके बाद एक बेहद ही विवादस्पद बयान दे डाला, उन्होंने कहा कि, ‘भूमिहारों द्वारा हमेशा से दलितों का शोषण किया जाता है।”
सुशील मोदी के इस बयान से भूमिहार-बहुल मुजफ्फरपुर में खासकर केंद्रीय विद्यालय में माहौल गरमा गया है।
विद्यालय में पढ़ने वाले ग्यारवीं-बारहवीं के छात्र-छात्राएं धरने पे बैठ गए हैं उनका कहना है छात्रों के आपसी झगड़े को मीडिया और सुशील मोदी द्वारा जातीय रंग दे दिया गया है और ऐसा करके वे विद्यालय का माहौल कर रहे हैं।
छात्र-छात्रओं ने साफ कर दिया है कि उनकी परीक्षाएं नजदीक है और ऐसे में शिक्षकों का तबादला उनकी पढ़ाई पे खासा असर डालेगा, साथ ही उनका विरोध इस बात को लेकर भी है कि प्रधानाचार्य पे आखिर किस आधार पे एफआइआर दर्ज की गयी। विद्यालय की छात्राएं भी खुलकर प्रशासन और सुशील मोदी के विरोध में उतर आयी हैं, छात्राओं का भी एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे एक दलित छात्रा साफ़ तौर पे कह रही है कि विद्यालय में कई दलित छात्र पढ़ते हैं और उन्हें ऐसी परेशानी कभी नहीं हुई है। उसी वीडियो में एक दूसरी लड़की मीडिया पर सीधे तौर पे निशाना साधते हुए कहती है कि वे लोग इसे मामले में जातीय एंगल दिखा के दंगे भड़काना चाहते हैं।
सीधे तौर पे सुशील मोदी जैसे बड़े नेताओं के इस गैरजिम्मेदाराना बयान से छात्रों में आक्रोश तो भड़का ही साथ ही भूमिहार समाज जोकि बिहार में भाजपा का वोट बैंक माना जाता है, खुल कर सुशील मोदी के विरोध में उतर आया है और उसे बिहार बीजेपी के कई नेताओं का समर्थन मिल रहा है, ऐसे में बीजेपी का क्या स्टैंड होगा ये देखनेवाली बात होगी। इस मामले में मीडिया का रुख भी काफी निंदनीय है, छात्रों के बीच के विवाद को जातीयता का जहर भर के काफी निंदनीय कृत्य किया है मीडिया ने। एक छात्र केवल छात्र होता है और उसकी कोई जाती नहीं होती, ये बात तो हमे स्वयं ही सोचनी पड़ेगी की क्या हम बच्चों में भी जातिवादिता का जहर भर के अपने समाज को सुधार सकेंगे और अपने देश को तरक्की के रास्ते पे ले जायेंगे, मेरे ख्याल से कदापि भी नहीं। अब सोचना हमे है कि हम क्या चाहते हैं।