स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अपेक्षा एक कम महत्वपूर्ण मंत्रालय कपडा मंत्रालय भेजना इस हफ्ते की बड़ी घटनाओं में से एक थी, जब ५ जुलाई को मोदी सरकार ने बड़े राजनैतिक उलटफेर करते हुए 19 नए चेहरों को अपने मंत्रिमंडल में स्थान दिया. इस उलटफेर को करीब से देखने पर साफ़ पता चलता है की भाजपा ने भविष्य को देख कर अपनी चाल चली है .
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है की इस फेरबदल में 19 में से 17 भाजपा के खेमे के हैं तो बाकी दो में से एक अपना दल की श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल और दुसरे आरपीआई के राम दास अठावले जी हैं, और कोई ख़ास हैरानी की बात नहीं है की शिवसेना इस बार भाजपा की पसंदीदा सूचि में नहीं हैं. एक राजनीतिक नौसिखिया भी आपको बता देगा कि उत्तर प्रदेश, भारतीय राजनीति का प्रवेशद्वार है, और भाजपा ने बड़ी चालाकी से उत्तर प्रदेश को अपने मंत्रिमंडल में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है. जहाँ उत्तरप्रदेश और गुजरात से तीन-तीन नए चेहरों को स्थान दिया गया है तो उत्तराखंड से एक को स्थान दिया है और बाकी चेहरे राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्णाटक और आसाम से हैं. भाजपा अद्यक्ष की माने तो अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी है लेकिन जहाँ तक राष्ट्रीय परिपेक्ष की बात करें तो भाजपा, २०१७ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बसपा को हल्के में नहीं ले रही है . बीजेपी ने अपने मंत्रिमंडल फेर बदल में 5 दलित, 3 आदिवासी और दो ओबीसी को जगह दे कर अपना दलित कार्ड सफलतापूर्वक खेला है.
20% दलित वोट, जो की बसपा का मूल वोट-बेस है, उसे विभाजित करना मुमकिन है और उम्मीद की जा सकती है की ये वोट विभाजित हो कर भाजपा की ओर आकर्षित हो. ये सोशल इंजीनियरिंग भाजपा को उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में ४०३ में से २६५ सीट दिलवाने में महत्पूर्ण साबित हो सकता है. उदहारण के लिए अपना दल की अनुप्रिया पटेल को मोदी ने अपनी कैबिनेट में शामिल किया है. अपने ओबीसी जड़ों और विकासवादी छवि के कारण, वे बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार के मिर्ज़ापुर इलाके से वोट पाने की कोशिशों को चकनाचूर कर सकती हैं.
जैसा की उन्होंने कहा भी है की … “इन दो वर्षों में, दोनों दलों ने सद्भाव, स्नेह और पारस्परिक सौहार्द के साथ एक साथ काम किया है। और अगर हम इस तरह से काम जारी रखें तो हम निश्चित रूप से सपा और बसपा से उत्तर प्रदेश को छुटकारा दिलवा सकते हैं। मैं इस अवसर पर दोनों दलों को बधाई देना चाहती हूँ । मुझे आशा है कि वर्ष 2017 तक अपने लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम हो जाएगा”.
सांसद कृष्णा राज जो शाहजहांपुर से जीत कर आयीं हैं, भी अनुसूचित जाति के मतदाताओं को उप्र चुनावों में प्रभावित कर सकती हैं, पासी समुदाय से ताल्लुक रखने के कारण यें दलित वोट बैंक में सेंध लगा सकती है. रुहेलखण्ड की कृष्णा राज पासी समुदाय के बीच भाजपा की पोस्टर गर्ल हो सकती हैं.
भाजपा ने दो ब्राह्मण नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल कर सवर्ण वोट में सेंध लगाने की कोशिश की है सांसद महेन्द्रनाथ पाण्डेय पूर्वी उत्तरप्रदेश के एक प्रमुख ब्राह्मण नेता हैं और ब्राह्मण वोट को आकर्षित कर सकते हैं .
भाजपा ने दलित और ओबीसी वोट के मद्देनज़र 16 मंत्रियों के साथ उत्तरप्रदेश को मंत्रिमंडल सबसे ज्यादा स्थान दिया है.
बसपा को डर लग रहा है की भाजपा का ये सोशल इंजीनियरिंग उसके वोट बैंक पर बड़ा असर डाल सकती है. उन्होंने इस कदम की कड़ी आलोचना की है, समाजवादी प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है की “अगर भाजपा को लगता है कि कुछ चेहरे फेरबदल से यह लोगों को गुमराह कर सकते हैं, तो वे खुद को बेवकूफ बना रहे है। लोग लोकसभा चुनाव में उनके किए गए वादों की जवाबदेही चाहते हैं। भाजपा ने अपने दो साल जुमलेबाजी में बिताए है ”
एक तटस्थ पर्यवेक्षक के रूप में यही कहा जा सकता है की भाजपा का ये कदम आने वाले उप्र चुनावों में दलितों को बसपा से भाजपा की तरफ आकर्षित कर सकता है.
अंग्रेजी अनुवाद के लिए यहाँ क्लिक करें – http://tfipost.com/2016/07/modi-cabinet-rejig/