नितीश जी प्रणाम,
ये एक बिहारी का अपने मुख्यमंत्री को प्रणाम है, इसलिए नहीं किये हैं की आप एक बेहतरीन मुख्यमंत्री हैं। हम तो ई लागी प्रणाम किये कि आजतक आप से बड़का अहंकारी व्यक्ति हम नहीं देखे हैं। हम क्या, पूरा बिहार में जितना आदमी के पास बुद्धि-विवेक बचल है उनमे से कोई नहीं देखा होगा। आप पिछले साल विधानसभा जीत कर लगातार तेसरा बेड़ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, उ भी तब जब आप ‘बिहार को जंगल बना देने वाले नेता’ और ‘देश को खाने वाली पार्टी’ के साथ “महागठबंधन” किये हुए थे। जानते हैं की आप काहेला जीत गए ? काहेके लोगों को लगा की आप मोदीजी के साथ मिल कर बिहार को स्वर्णिम युग में ले जायेंगे।
खैर अब असली मुद्दे पर आते हैं नितीश जी, हाजीपुर और पटना के दोनों किनारों को जोड़ता है “महात्मा गांधी सेतु”। अगर मेरा वश चलता तो गांधी सेतु के दोनों किनारों पर दस साल पहले ही बोर्ड लगवा देता कि “सिर्फ मजबूत दिल वाले यात्री ही इस पुल से गुजरें”… दोनों शहरों के बीच मुश्किल से 20 किलोमीटर की दुरी होगी, लेकिन जिस दिन आप 2घंटा में पुल पार कर जाइयेगा तो पटना जंक्शन वाले हनुमान मंदिर जा के दू किलो लड्डू जरूर चढ़ा दीजियेगा! एक किलो पहुंच जाने के लिए और दुसरका किलो जिन्दा पहुंच जाने के लिए। यह पुल केंद्रीय पथ निर्माण विभाग के अधीन है, बनवाया कांग्रेस सरकार ने था और कांग्रेसी राज में किये गए बाकी विकास कार्यों की तरह गांधी सेतु के खंभे भी वक्त से पहले जर्जर हो गए।
अब केंद्र से पैसा लेकर, राज्य सरकार को मरम्मत करवाना था। नितीश जी आप दस साल सीएम रहे, चिदंबरम-मोंटेक की खूब दरबारी की, कांग्रेस के साथ तीन साल से गठबंधन में हैं, राहुल-लालू से खुद को नेता भी मनवा लिया, लेकिन गांधी सेतु की मरम्मत नहीं करवा पाये। कांग्रेस-लालू से रिश्तों का पुल बनाने से फुर्सत मिलती तब तो पटना-हाजीपुर रिश्तों के पुल को संवारते। अब मोदी सरकार ने इसके मरम्मत के लिए 1742करोड़ मंजूर कर दिए हैं, जिस वक्त कैबिनेट ने फैसला लिया उसी वक्त यह भी तय कर दिया कि जुलाई में टेंडर और 15 अगस्त से पहले काम शुरू हो जाना चाहिए। जो काम बरसों की कांग्रेस, जेडीयू सरकारें नहीं कर पाईं, उसे 2 साल पहले बनी यह सरकार कर रही है।
नितीश जी, जिस बिहार ने मोदी को 2015 में ठुकरा दिया, जहां 2019 तक चुनाव भी नहीं, वहाँ रिश्तों का पुल बनवा रहे हैं मोदीजी।
लालू ने 15 साल और आपने 10साल में एक भी यूनिट बिजली पैदा नहीं की, लेकिन जा के सर्च कर लीजिये गूगल पर, बिहार में केंद्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की तरक्की देश में सबसे अच्छी है। अभी सुरेश प्रभु बिहार आये थे, बोले की बिहार में सबसे ज्यादा रेल परियोजनाओं पर काम हो रहा है, ये कागजी नहीं है, कोई भी देख सकता है। आपकी तरह नहीं की आधी अधूरी परियोजना का भी उद्घाटन कर देते हैं।
अब देखिये नितीश जी, देश के हर जिले में केंद्रीय विद्यालय खोलने की योजना है, जमीन राज्य सरकार को देनी है, स्कूल केंद्र खोलेगा। हम ई जानकर माथा पकड़ लिए कि बिहार सरकार ने इसके लिए कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा है। जब चुनाव आएगा तब तो आप-लालू-कांग्रेसी मिल के कह दीजियेगा कि देखो जी..मोदी ने हर जगह सेंट्रल स्कूल खुलवाये, बिहार में वोट नहीं मिला था, तो यहाँ नहीं खुलवाये।
नितीश जी ये दुर्भाग्य है बिहार का कि आपकी इकलौती चिंता मोदी विरोध की हो चली है। योग दिवस पर पतंजलि के आयोजन तक में नहीं गए, जबकि 2007 में बाबा रामदेव को स्टेट गेस्ट बनाया था। बयान दिया कि मोदी पहले शराबबंदी करवाएं, तब योग करेंगे। बिहार में “मुंगेर योग केंद्र” सदियो से है जबकि शराबबंदी इसी साल अप्रैल से है, काहे नहीं बंद करवा दिए मुंगेर ने योग।
आप और मोदीजी परस्पर विरोधी विचारधाराओं वाले किनारे बन चुके हैं.. और यही विरोध बिहार की जनता और विकास के बीच खाई बनकर खड़ा है। परस्पर विरोधी विचारधारा होना स्वाभविक है, नदी के दो किनारों की तरह होती है ये, कभी मेल नहीं होता इनका मगर फिर भी साथ चलती हैं। लेकिन हम बिहारियों का दुर्भाग्य देखिये कि यहाँ विकास पे भी राजनीति होती है। यहाँ सबके अपने एजेंडे हैं, अगर मोदी के कदम से आपका एजेंडा सधे तो ठीक, वर्ना मोदी “बाहरी” हो जायेंगे और आप “बिहारी”। क्या आप अपनी नमो विरोधी विचारधारा के बावजूद बिहार में विकास का सेतु नहीं बना सकते? मेरे लिए तो जो बिहार का विकास करे वही बिहारहित में है। अगर ‘बाहरी’ बिहार का विकास कर रहा है तो सिर्फ पैदायशी ‘बिहारी’ के गीत क्यों गाते रहें? सोचियेगा जरूर, जो भी खुद को बिहारी समझते हैं वो सब सोचियेगा।
आपका दिन शुभ हो