भारत एक प्राचीन, सेक्युलर देश है. सेकुलरिज्म हर भारतीय के विचार का अभिन्न हिस्सा है. इसीलिए तो भारत को महान कहा जाता है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था. 5000 से भी अधिक वर्ष पूर्व सिंधु नदी के तट पर जिस सभ्यता का जन्म हुआ, वह असल मायने में सेक्युलर नहीं थी. यहाँ एक प्रकार की हिंदूवादी संस्कृति का अनुसरण किया जाता था. यह हमारी सेक्युलर संस्कृति का एक अत्यंत पीड़ादायक दौर था. इसी के कुछ शताब्दियों बाद, हमारे ही कुछ पथ-भ्रष्ट पूर्वजों ने वेद और पुराण लिख कर हिन्दू धर्म की स्थापना की थी. सही मायनों में, यह समय भारत के इतिहास का एक काला दौर था,जिसके बारे में सोच कर आज का प्रत्येक सेक्युलर भारतीय शर्मिन्दा महसूस करता है. उनके द्वारा रखी गयी, इस हिंदूवादी सोच के कारण ही, मौर्य, गुप्त और अनेक हिन्दू और बौद्ध राज्यों का जन्म हुआ. चूंकि इनका इतिहास नॉन-सेक्युलर था, इसीलिए इस पर अधिक समय गंवाना व्यर्थ होगा।
लगभग, 8वीं शताब्दी में अरब के महान खोजकार, मुहम्मद बिन क़ासिम ने भारत में कदम रखा. इसी के साथ देश के सेक्युलर इतिहास का शुभारम्भ होता है. क़ासिम, और उनके बाद आये हुए अनेक अरबियों, अफ़ग़ानियों, तुर्कों और ईरानियों ने इस देश के सेक्युलर इतिहास की नींव रखी. इन्ही महान हस्तियों कारण, हिन्दू साम्राज्यवाद बिखर गया और देश में सेक्युलरवाद की बयार बहने लगी. महमूद ग़ज़नी, मुहमद घोरी, तैमूरलंग, तुग़लक़, लोदी और अन्य ऐसे शासकों ने भारत का गौरव बढ़ाया और देश के नागरिकों की हिन्दू धर्म के दुष्प्रभाव से सुरक्षा की. पंदहरवीं शताब्दी में मुग़लों के आगमन से देश के सेक्युलर चरित्र को चार चाँद लग गये. हालांकि इन में से एक मुग़ल शासक, जलालुद्दीन अकबर,हिन्दुओं के बहकावे में आ कर, गलत दिशा में अग्रसर हुआ था, लेकिन उसके पड़पोते, औरंगज़ेब ने भारत में पुनः सेक्युलरवाद का परचम बुलंद किया। इस दौरान लाखों हिन्दुओं ने हिन्दुवाद को नकारते हुए प्रसन्नता से इस्लाम स्वीकार किया. मराठों ने हिन्दुवाद से भ्रमित हो कर कुछ समय तक मुग़लों को चुनौती दी लेकिन आखिरकार महासेक्युलर अब्दाली से मात खा कर बिखर गये.
मुग़लों के पतन के बाद, अंग्रेज़ और अन्य यूरोपीय राष्ट्र अपने साथ ईसाई धर्म को भारत लेकर आये. ईसाई पादरी मिशनरीज़ ने असंख्य हिन्दुओं को हिन्दूवाद से मुक्ति दिलाई. इस्लामी ताकतों के बाद इन्ही यूरोपीय देशों ने भारत के सेकुलरिज्म की लाज बचाई। देश की आज़ादी के आंदोलन में सेक्युलर भारतीयों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. लेकिन हमारे कई सेक्युलर मित्र ये जान चुके थे कि भारत में सेकुलरिज्म को हिन्दू- बहुलता से खतरा है. इसी कारण, जिन्नाह जैसे महान सेक्युलर चरित्र ने देश का विभाजन कर, सेकुलरिज्म की पावन ज्योत पाकिस्तान में बचाये रखी.
आज के भारत में पुनः एकबार हिन्दूवादी सरकार ने सत्ता हड़प ली है .यह वहीँ लोग हैं जिन्होंने बाबरी मस्जिद को राम मंदिर कहा था . वही लोग जिन्होंने कारगिल में हमारे सेक्युलर पाकिस्तानी भाईयों से लड़ा दिया , वहीँ लोग जो धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध करते हैं. मोदीजी को हर सेक्युलर भारतीय अच्छे से पहचानता है. सभी सेक्युलर भाईयों और बहनों को मोदी के हिंदूवादी अजेंडे से सावधान रहना चाहिए. सेकुलरिज्म को बचाने के लिए ही मुलायम, लालू, नितीश, राहुल बाबा और श्री श्री केजरीवालजी का जन्म हुआ है. हर सेक्युलर भारतीय का कर्तव्य है की देश के सेक्युलरवाद को बचाने के लिए वह मोदीजी का पुरज़ोर विरोध करे.
सेक्युलरवाद ऐसा पौधा है जिसे बड़े प्यार से सींच सींच कर हमारे महान सेक्युलर नेताओं- नेहरूजी, इंदिराजी, राजीवजी इत्यादि ने बड़ा किया है. हर भारतीय की ये जिम्मेदारी है की इस पौधे का वृक्ष बना कर हम पूरे विश्व को में सेक्युलरवाद की छाया प्रदान करे.
आमीन! हैल मैरी!
Superb article with #Sarcastic sense.