एक खुला पत्र नीतिस जी के नाम, जीतन राम मांझी के द्वारा

प्यारे नीतीस जी,

जीतन राम मांझी का सप्रेम नमस्ते,

हम सकुसल हैं एवं आपकी कुसलकामना करते हैं। नितीस जी आप अवस्य हैरान होंगे ये पत्र देख के, आप सोंच रहे होंगे की हम आपके कट्टर राजनैतिक विरोधी चुनावी गहमागहमी के बीच आपको पत्र काहे लिख रहे हैं। आप सायद यह भी सोंच रहे होंगे की जीतन राम मांझी आप पे कटाक्ष करने के लिए पत्र लिख रहा है, परन्तु ऐसा नहीं है। जीतन राम मांझी का यह राजनैतिक जीवन, जीतन राम मांझी का यह बढ़ा हुआ कद सब आपका ही देन है या कहे तो आपके अहंकार का।

नीतिस जी आपको सायद याद होगा की बीस मई दो हजार चौदह से पहले हमको कोई नहीं जानता था। हम तो कोने में बैठे थे अपना खुद का सीट हार के। बुढा गए थे, एक नकारा जीवन जीने के बाद, रिटायरमेंट की तैयारी में लगे हुए थे की आपने एक दिन फोन पे कहा “अरे जीतनवा, सीएम बनबा का हो?”, हमको लगा की आप मद्यपान करके बैठे हैं, खंखार के हंसने लगे थे हम। क्या बोले क्या जवाब दें कुछ बुझायबे नहीं किया। फिर बाद में समझ आया की आपका अहंकार हिलोरें मार रहा है। तो हम भी तड़फड़ा के हाँ बोल दिए। आप तो हमको वही समझे जो बाकी समझते थे। कि हम बेवकूफ हैं, कि हम मोदी के आंधी में आपका सिंघासन पर पेपरवेट बनकर बैठल रहेंगे और आप बाहर चुनावी मंजलिस में महादलित कार्ड खेलेंगे। अरे अवसरवादी राजनेता, आपके छत्रछाया में रहकर अवसरवाद तो हमहू सीखिए लिए थे। नितीस जी पसवा तनि उलटा पड़ गया आपका। हमको मगही पान खिलाने चले थे आप, हम आपही को मगही कसैली दे दिए। नितीस जी याद तो होगा आपको की सिंघासन छोड़ने के बाद फिर उसपे बैठने के लिए कैसे बुतरू के तरह मचले थे आप। हम रोज अंट-शंट बयानबाजी करते थे और सरमसार होना पड़ता था आपको, याद तो होगा ही। दरअसल में आपने एक हारे हुए सिपाही को बन्दूक थमा दिया था, तो गोली तो छूटना ही था। हमको आप अपने त्याग दया का हलवा बना के राजनीति के डाइनिंग टेबुल पे पेस किये थे और हम आपही के गला का हड्डी बन गए। और हमको पद से हटा के आपने एक साल का सीएमसीप तो जीत लिया लेकिन चुनाव के बाद आप विलुप्त होने के कगार पे होंगे, ऐसी हमारी समझ है।

नीतिस जी भगवद्गीता में कहा गया है की अहंकारी को उसका मृत्यु नहीं बल्कि उसका खुद का अहंकार मारता है। मोदी को नीचा दिखने के लिए आप हमारा गमछा पकड़ लिए, आज मोदी को हराने के लिए आप लालू की लुंगी पकड़ के बैठ गए हैं। हम तो फिर भी छोटा खेलाडी हैं, लालू जी तो अपने आपमें पूरा राजनैतिक संस्था है। नीतिस जी ज़रा अपने आप को देखिये, आप कभी इसको मनाते फिरते हैं तो कभी उसको। और आज हमको देखिये स्वयं अमित साह जी हमको मनाने के लिए मीटिंग कर रहे हैं, पासवान और कुसवाहा के साथ हम भी एक इम्पोर्टेन्ट अलाई हैं बीजेपी के, खुद अपना दम पे पूरा बीस सीट पे लड़ेंगे और जीतेंगे भी। जो सोसल फार्मूला आप बनाये थे दलित को फांसने के लिए उसको हम तोड़ेंगे। लेकिन धन्यवाद हमारे जीवन को मकसद देने के लिए। आपने मौका ना दिया होता, तो आज ना ये जीतन राम मांझी होता, ना उसका ये बढ़ा हुआ कद और नाही ये पत्र लिखने की आवश्यकता।

धन्यवाद,

जीतन राम मांझी,

पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार

 

नोट: यह लेख एक व्यंग है और इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है

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