नर बनकर
नारी बनकर
कभी राजा कभी
रंक भिखारी बनकर
धर्म से
बल से
छल से
वस्तु बनकर
पशु बनकर
पैगम्बर या ईसा बनकर
नानक या कृष्ण बनकर
जूतियाँ घिसकर
या ड्योढ़ीयों पे सर पटककर
कभी सर्प सा घांस में छुपकर
कभी कुत्ते सा दुम हिलाकर
कभी पद के लिए
कभी मद के लिए
कभी वजन
कभी कद के लिए
कभी ऐश्वर्य के लिए
कभी खोखले गर्व के लिए
कभी पैसों के अंधे
पर्व के लिए
मैं लूटूंगा
नोचुंगा
लडूंगा
लड्वाऊंगा
कभी विष्णु बनकर
वासुकी की आग पिलवाउंगा
कभी मोहिनी बन खुद अपने
हाथो से जलवाउंगा
कभी तुझे बना दधीची
तेरी हड्डियां पिघलाऊंगा
कभी बन मेनका
तुझे तप से भटकाउंगा
चाहे हिन्दुओं के हाथ से मरे मुस्लिम
या मुस्लिमों के हाथ क़त्ल हो हिन्दू सारे
सत्ता में रहना ही एक मात्र सत्य है
तेरी मूर्खता, तेरी अंधभक्ति के सहारे