Re Kajri Kahe Tu Ghabraaye
जे कायर सो बारम्बार युद्ध युद्ध चिल्लाये जो फट्टू प्रवित्ति मानुष वो निडर राग दोहराए लोभी, धूर्त, चोर, उचक्के इमानदार कहत ना अघाए ...
जे कायर सो बारम्बार युद्ध युद्ध चिल्लाये जो फट्टू प्रवित्ति मानुष वो निडर राग दोहराए लोभी, धूर्त, चोर, उचक्के इमानदार कहत ना अघाए ...
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