अक्सर अपने जीवन में आप रेल द्वारा यात्राएँ करते होंगे| कभी हल्का सामान लेकर, कभी भारी सामान लेकर, कभी कभी तो आपको अपने सामान के लिए रेलवे स्टेशन पर मौजूद लाल शर्ट और बाजू पर पीतल का लाइसेंस बैच लगाए खड़े “कुलियों” का सहारा भी लेना पड़ता है जिसके एवज में आप उन्हें उनका मेहनताना देते हैं|
भारत में कुलियों की संख्या लगभग 20,000 से ज्यादा हैं जिन्हें सरकारी निधियों से ना के बराबर सुविधाएँ प्राप्त होती हैं| ऐसे समय मोदी सरकार कुलियों के जीवन निर्वहन के लिए एक सकारात्मक दिशा पर विचाराधीन है जिसे जल्दी ही मंजूरी दी जा सकती है| जिसके बाद से रेलवे के कुली सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ जायेंगें|कौन
कुलियों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की योजनाओं के दायरे में लाने के लिए सरकार प्रत्येक रेल टिकट पर 10 पैसे का उपकर लगाने पर विचार कर रही है। यह प्रस्तावित उपकर प्रत्येक टिकट पर लगेगा, प्रत्येक यात्री पर नहीं, मतलब कि एक टिकट में कई यात्रियों के नाम शामिल हो सकते है। भारतीय रेल द्वारा प्रतिदिन 10 से 12 लाख रेल टिकट जारी किए जाते हैं। इस हिसाब से सालाना उपकर से करोडो रुपये जुटेंगे। इससे कुलियों को अतिमहत्वपूर्ण सुविधाएँ जैसे बीमा, पेंशन एवं पीएफ का लाभ मिलेगा|
अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो कुलियों की बदहाली को दूर करने की दिशा में ये एक सकारात्मक कदम की तरह जाना जाएगा| इसके अतिरिक्त वर्तमान समय में भुलाये जा चुके 10 पैसों से उनके जीवन में खुशहाली लायी जा सकेगी| वास्तविकता में इसके पीछे सरकार की दूरगामी सोच, असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ से अधिक कामगारों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की है|
वर्ष 2017 में देश के गरीब कुलियों को ये सौगात देकर मोदी सरकार, अपनी दूरदर्शी और गरीबों के उत्थान के प्रति कर्तव्यबद्ध सोच को दर्शाने का प्रयास करेगी|
अगर यह प्रस्तावित योजना सफल होती है तो निश्चित तौर पर सरकार के पास गरीब एवं मजदूर वर्ग के प्रति कुछ अन्य प्रकार की योजनाओं पर विचार करने का सकारात्मक मनोवैज्ञानिक लाभ भी होगा| अन्य राजनैतिक संगठनों को भी इस वक्तव्य पर ध्यान देना होगा कि “यह प्रस्ताव देश के पिछड़ों एवं उनके परिवारजनों के लिए एक प्रकाशपुंज का कार्य करेगा|” जिसके लिए सभी दलों को साथ आकर संसद की कार्यवाही को सुगमता से चलाकर इस सत्र में इस प्रावधान को अपना अवश्यम्भावी योगदान देकर पास करना चाहिए| जिससे नए वर्ष की खुशहाली देश के निम्नतम ढांचे को संभाल रहे विशेष जरूरतमंद लोगो तक पहुच पाए|