कल रविश कुमार जी को जिस तरह के रूप में हमनें देखा इससे उनकी बौखलाहट साफ़ साफ़ नज़र आई. जिस पूर्वाग्रह के साथ वह कल बैठे थे, वो बात अब जनता समझ रही हैं.
रविश कुमार साहब देशद्रोह के आरोपियों के समर्थक है. अपना एनजीओ भी चलाते हैं. सबसे उपर ये एक छंटे हुए कथाकार हैं, कहानियाँ लिखने में माहिर हैं. यही साहब संघ को गाली देते हैं, यहाँ तक कि जिस संघ का कभी हिस्सा नहीं रहे उस पर कवर पेज स्टोरी बनाते हैं. खुद एक बौद्धिक आतंकवाद की उपज हैं, जिसे पुरे देश में फैला रहे हैं. ऐसे तथाकथित “साहब” हमारे देश में बुद्धिजीवी और समाजसेवी कहे जाते हैं.
दरअसल ये लोग ‘पुरे देश में अँधेरा करने चले थे, लेकिन घर की लौ पहले ही बुझ गई.’ सरकार द्वारा गठित जांच समिति ने NDTV पर पठानकोट हमले के दौरान संवेदनहीन रिपोर्टिंग के लिए 1 दिन के बैन की सिफारिश की हैं. जिससे बदले की भावना से कल NDTV के प्राइम टाइम में लोगो को दिग्भ्रमित कर ये कहा गया क़ि, ‘सवाल नहीं पूछने दे रहे.’ जबकि वास्तविकता कोसो दूर हैं. असल में पठानकोट हमले के समय जवानों की स्थिति, हथियारों और तेल भंडार के ठिकानों को इन्होंने अपने चैनल में लाइव एयर किया था.
रविश कुमार जैसे बुद्धिजीवियों के हाथ में पिछले 10 साल से सत्ता पर पकड़ थी. सरकार के बड़े-बड़े मंत्रियों के फैसले अपने फायदे देखते हुए लिए जाते थे. इन्हीं बुद्धिजीवियों ने भगत सिंह को ‘आतंकवादी’ और शोभा सिंह को “महिमामंडित” किया. जेएनयू प्रकरण के दौरान देशविरोधी तत्वों के लिए मार्च की अगुवाई रविश कुमार जी ने ही की थी. फॉरेंसिक रिपोर्ट में सही साबित होने वाले वीडियो को नकली बताकर झूठ का मायाजाल बिछाया था.
इतने साल देश ने इन लोगो को बिना उफ़ किये भुगता है. और आज आतंकियों के जनाजे देखकर साहब लोगो के तख़्त हिलने लगे हैं. इनके विपरीत विचारधारा का व्यक्ति, कल का चाय वाला छोकरा आज “लाल सलाम” का भगवाकरण करने में लगा है, और ये बुद्धिजीवी वर्ग कुछ नहीं कर पा रहे हैं. दरअसल ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि वैचारिक प्रतिरोध करें या फिर से मार्क्स की “खूनी क्रांति” लिख दें. ये अभी हाशिये में हैं, इतिहास में चले जायेंगे. मार्क्स और लेनिन कि शब्दावलियों से ये जनता को अब मूर्ख नहीं बना सकते.
ये तो महज एक शुरुवात है. मिर्च अभी और तेज होगी. आपका नक़ाब उतरना अभी बाकि हैं. आपका बौद्धिक आतंकवाद अब समाप्ति की ओर है. आवाहन हो चुका है. भारत के नव निर्माण के पवित्र यज्ञ में आहूति लगना शुरू हो चुकी हैं. इस बार शब्दों के बाण हमारी कलम से निकलेंगे. जिसमे आपका असल वर्णन विस्तार से होगा.