अरे भैय्या सुरेश प्रभु जी को बीच में क्यूँ लाते हो?

सुरेश प्रभु

पिछले हफ्ते मुझे बिलासपुर से रायपुर जाना था। सो मैं बिलासपुर रेलवे स्टेशन गया और टिकट काउंटर नं। 3 की लाइन में लग गया। 10 मिनट लाइन में लगे रहने के बाद मैं काउंटर पर पहुँचा और मैंने रायपुर के लिए स्लीपर क्लास की एक टिकट मांगी, टिकट का मूल्य हैं 120₹। मैंने 500 ₹ का नोट दिया, टिकट देने वाले कर्मचारी ने मुझे 20 ₹ छुट्टे पैसे देने की मांग की, मैंने कहा कि – ‘मेरे पास चेंज नहीं हैं’ , इतना सुनते ही उस व्यक्ति ने मेरे सामने 500 ₹ के नोट को फ़ेंक कर कहा कि – “जाओ छुट्टे लेकर आओ, या दूसरी जगह लाइन लगो। बिना छुट्टे के टिकट नहीं मिलेगी।”

मैंने उससे निवेदन भी किया कि मेरी ट्रैन छूट जायेगी लेकिन उसने मुझे टिकट नहीं दिया।

मैंने जब उनसे कहा क़ि अगर किसी के पास छुट्टे नहीं हैं तो क्या वो ट्रेन में यात्रा नहीं कर सकता, तो उसने मुझे काउंटर के ऊपर इशारा करते हुए एक बोर्ड दिखाया जिसमे लिखा था – ” कृपया चिल्हर देंवे।”

और मुझसे बद्तमीज़ी से दूसरे काउंटर में जाने बोला।

मैंने जब उसे शिकायत करने की बात कही तो उसने कहा – ” जाओ जहाँ जाकर शिकायत करना हैं करो।” नाम पूछने पर उसने अपने ऐरोगेंट्स भरे लफ्जों में पूछताछ कक्ष जाकर नाम पूछने को कहा।

मैंने दूसरे काउंटर में जाकर लाइन में लगते हुए अपना फ़ोन निकाल कर उस कर्मचारी के काउंटर और उसकी फोटो लेने का नाटक किया जिसके बाद वह कर्मचारी मेरे अपनी सीट से उठ कर चला गया, मैंने टिकट लिया तो दूसरे काउंटर के कर्मचारी ने ने कहा – ” शिकायत में टाइम वेस्ट मत करो, जल्दी चले जाओ तुम्हारी ट्रेन छूट जायेगी। ” टिकट लेने के बाद ही वह कर्मचारी वापस अपनी जगह पर आया। मैं शिकायत के लिए स्टेशन प्रबंधक के केबिन में पहुँचा। वहाँ मैंने उस कर्मचारी की शिकायत की और मैंने उनसे शिकायत दर्ज करने को कहा और साथ ही मैंने कहा कि मैं “सुरेश प्रभु जी” को भी ट्वीट करूँगा। इतना सुनते ही उसने मुझे तुरंत बैठने को कहा और ठंडा पानी ऑफर किया।

पहले तो उन्होंने मुझे सुरेश प्रभु को शिकायत ना करने की सलाह दी लेकिन मेरे जोर देने पर शिकायत के लिए उन्होंने मुझे “पूछताछ केंद्र” जाने को कहा।

पूछताछ केंद्र में मैंने वहाँ के कर्मचारी को सारी बातें बताई, और सुरेश प्रभु को ट्वीट करके शिकायत करने की बात भी कही, इसके बाद उस कर्मचारी ने माफ़ी मांगते हुए मुझे दूसरी टिकट लाने के लिए पूछा और उस टिकट देने वाले कर्मचारी को समझाईश देने की बात भी कहीं।

और मुझसे शिकायत और सुरेश प्रभु को ट्वीट ना करने का निवेदन किया।

अब आप 3 वर्ष पहले के समय को याद कीजिये जब किसी सरकारी विभाग का कर्मचारी अपनी धौंस दिखाकर जनता को हाँकता था, जनता उस समय भी शिकायत लेकर अधिकारी के पास जाती थी, लेकिन विश्वास था क़ि उस शिकायत का कोई असर नहीं होगा।

जनता में इसी बात को लेकर हताशा होती थी क़ि उनके साथ गलत होने पर भी कोई सुनने वाला नहीं हैं।

लेकिन अब सुरेश प्रभु जी के सकारात्मक कदम से छोटी ही सही एक छड़ी जनता के हाथ में आ गयी हैं, जिससे सरकारी कर्मचारियों में काम नहीं करने या गलत आचरण करने पर किसी कार्यवाही का डर ज़रूर हैं।।आज रेलवे में एक ट्वीट से जनता को तुरंत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। सुरक्षा, साफ़-सफ़ाई, ट्रेन्स के समय सभी चीजों में सुधार हो रहा हैं और दिख भी रहा हैं।

यह कार्यप्रणाली सरकार के प्रत्येक विभागों में सख्ती से लागू होनी चाहिए, जिससे जनता के साथ गलत व्यवहार होने पर जनता सही जगह शिकायत कर सके और शिकायत को सुनने वाला कोई हो।

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