मित्रों, राजनीति और नौटंकी का चोली दामन का साथ है। अजी यह न हो, तो जैसे दाल में नमक नहीं, गाड़ी में पेट्रोल नहीं, या यूं कहें, राजनीति में जान नहीं। पिछले पाँच छह सालों से राजनीति ने अनुसरण करने लायक आदर्श दिये हो या नहीं, नौटंकी तो नमक मिर्च लगा के स्पेशल डिमांड पर भारतीय जनता के लिए परोसा है। और जब बात आए अपने राज्य की, तो 2017 के चुनाव में परिणाम चाहे जो भी हो, एक पार्टी तो हंसा हंसा के मारने पर ज़रूर मजबूर करेगी, और ऊ है काँग्रेस।
पिछले तीन साल में इस पार्टी की जितनी दुर्गति हुई है, उतनी तो शायद हिटलर की मौत से पहले भी न हुयी हो। बेचारों की क्या हालत हो गयी। कहाँ पिछले दस सालों से जनता का सम्पूर्ण मनोरंजन कर रहे थे, निस्वार्थ, और निष्ठावान सेवा भक्ति भाव से, और कहाँ फासीवादी बीजेपी ने उन्हे उनके जन्मसिद्ध अधिकार से इतनी बुरी तरह वंचित कर दिया। इतना बुरा हाल हो गया है, की अब दिल्ली का मनोरंजन करने के खुद मुख्य मंत्री (और काँग्रेस के श्रवण कुमार) श्री अरविंद केजरीवाल जी को अतिरिक्त प्रभार लेना पड़ा है।
पर जैसे हमारे फैजल भैया, श्री नवाज़ुद्दीन ने फरमाया था, ‘मेरी अम्मी कहती थी की कचरे की भी जगह बदलती है, तू तो इंसान है, तेरा दिन ज़रूर बदलेगा’, ठीक उसी तरह उत्तर प्रदेश में माँ ममतामयी काँग्रेस की नैया पार लगाने, और नरेंद्र मोदी जैसे दुर्जन सिंह का संहार करने उनके करन अर्जुन आ गए हैं। हाँ, उनके करन अर्जुन आ गए हैं, और धार्मिक एकता का संभाव लिए आए हैं! वो हैं इमरान मसूद और राज बब्बर। राजनीतिक भाषा में कहें, तो काँग्रेस पार्टी का चुनाव प्रचार संभालने के लिए इन दोनों महापुरुषों को नियुक्त किया गया है।
हाये, क्या चाल है इनकी, क्या बोल है इनके। हमारे सौम्य सुशील करन, श्री इमरान मसूद के क्या कहने। जब पूरा देश नरेंद्र ‘दुर्जन’ मोदी के गुणगान गा रहा था, तो लोकसभा चुनाव के पहले इन्ही करन के मुख से ये मधुर वाणी निकली थी, ‘मोदी अपने आप को गुजरात का शेर समझता है, जहां सिर्फ ४ % प्रतिशत मुसलमान हैं, पर यहाँ मैं उससे लड़ूँगा, और बोटी बोटी काट के फेंक दूँगा!’ देखिये देखिये, कितनी द्रढ़ और प्रचंड शब्दों में नरेंद्र दुर्जन मोदी के ‘आतंक’ को ललकारा है हमारे करन जी ने। इसीलिए तो माँ सोनिया प्रसन्न होकर इन्हे उत्तर प्रदेश के काँग्रेस कमेटी का उप राष्ट्रपति बनाया हैं। भगवान करे, सबको ऐसे ही इमरान मिले। कितनी सेवा निष्ठा से उन्होने ये पद कमाया है। मोदी जी, देखिये, और कुछ सीखिये इनसे।
अरे रे रे, हम अपने अर्जुन को कैसे भूल गए। हमारे राज बब्बर साहब, जिनहोने कभी इंसानियत के नशे में इस्लामी अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज़ उठाने का पाप किया था। पर ठहरिए, उन्होने सालों बाद इसका प्रायश्चित भी किया। यही तो थे वो देवता, जिनके मुख से ये कल्याणकारी तीर निकला था, ‘ मुंबई में 12 रुपये में, और दिल्ली में एक आदमी ५ रुपये में एक आदमी पेट भर खाना खा सकता है!’ बताइये, क्या जवाब दिया था काँग्रेस के गरीबी उन्नति (माफ कीजिएगा, उन्मूलन) पर प्रश्न उठाने वालों पर। इनहोने अपने दम पर असम चुनाव 2016 के प्रचार प्रसार को संभाला था। ये दुर्भाग्य था उनका, की नरेंद्र ‘दुर्जन’ मोदी का अत्याचार वहाँ की जनता को नहीं दिखाई दिया, वरना वे भारी अंतर से अपने मित्रा, श्री तरुण लिंगइया गोगोई जी को चौथी बार कुर्सी पर बैठा सकते थे। शायद पुत्र राहुल जी ने सही आशीर्वाद नहीं दिया था, नहीं तो मां ममतामयी काँग्रेस को कौन हरा सकता है? है कोई मई का लाल? बताइये, है कोई? महाभारत में अर्जुन के सरीखे ही तो हैं हमारे राज जी। अचूक, अभेद्य, अदभूत!
अब गौर से देखिये। माँ ममतामयी काँग्रेस के लिए उनके करन अर्जुन है, सुंदर सुशील सोनिया भी हैं, शीला जी जैसी सुकन्या ‘बिंदिया’ भी है। बस ज़रूरत है, तो माँ काली की असीम अनुकम्पा की, जिससे नरेंद्र ‘दुर्जन’ मोदी और उनके अत्याचारी सेना का उत्तर प्रदेश में नाश हो सके, ठीक उसी प्रकार, जैसे बिहार में दुर्जन मोदी के अवतार गब्बर सिंह का लालू जय यादव और नितीश वीरू कुमार ने बहुमत से संहार किया था!
जय माँ ममतामयी काँग्रेस की!
ईश्वर करे राज और इमरान करन और अर्जुन के आदर्शों को कंठस्थ चरितार्थ करे।
(यहाँ पर लिखित काँग्रेस सदस्यों से हमारा पूरा पूरा संबंध है। कृपया काँग्रेस के अनन्य भक्त, इसे पढ़कर अपने हृदय को कष्ट न दें, नहीं तो हम पर ब्रह्म हत्या का पाप चढ़ेगा!
जनसेवा में जारी,
(माँ ममतामयी काँग्रेस के एक परम ‘भक्त’ की ओर से!)