बारह साल के बच्चियों की बोली लगाने वाली बसपा की घिनौनी राजनीति

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आज कल की मीडिया कालिख से ढके उस तवे की तरह है जिसका असली रंग तब तक नहीं दीखता जब की उसे अच्छी तरह से खुरच खुरच के साफ़ नहीं किया जाए. ठीक वैसे हीं, आज कल जितनी भी खबरें आती हैं, उनकी कई परतें होती हैं और जब तक आखिरी परत हटा के नहीं देखा जाए, तब तक सच का पता नहीं चलता, आज कल ऐसी खबरों की आवृत्ति आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गयी है.

रोहित वेमुल्ला काण्ड को ही ले लीजिये जहाँ सच्चाई को पूरी तरह से उलट दिया  गया , अखलाख मर्डर  मामले में तो बड़ा से बड़ा जासूस भी अपना सर खुजा लेगा , अब उना के  दलित मामले  को  ही  ले  लीजिये जहाँ आरोपी , दलितों को पीटने  के लिए 700  किलोमीटर दूर दमन से  आते  हैं और खुद  ही  मारपीट  की  विडियो  बना  कर  वायरल  कर  देते  हैं .

अब  बताइए  की  कौन  खुद  अपने कुकर्मो  को फिल्मा कर  खुद  ही  अपने  आप  को   फंसवाता है ? वैसे  दलितों  को  पीटने  वालों  में  से  एक  मुस्लिम  था और  सबसे  बड़ी  बात , उना  जहाँ  की  ये  घटना  बताई  जा  रही  है  वो  कांग्रेस का  गढ़  रहा  है  आज  भी  वहां के  विधायक  पूंजाभाई भीमाभाई कांग्रेस से  हैं आजादी  के  बाद  हुए  12  विधानसभा  चुनाओं  में  09  बार  कांग्रेस  जीती  है  तो  भाजपा  केवल  एक  बार जीती  है . जब  ऊना में  कांग्रेसी  सेकुलरिज्म  इतनी  चरम  पर  है  तो  फिर  यहाँ  गाय  का  चमड़ा निकलने  वालों  की  पिटाई होना  ठीक  ऐसा  ही  है  जैसे कोई ओवैसी के  नाक के नीचे कोई  सुवर  का मांस  बेचे .

पूर्व भाजपा इकाई अध्यक्ष दयाशंकर पाण्डेय द्वारा बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए दिया गया कलंकित बयाँन आजकल मीडिया द्वारा बनाई ताजा तरीन सनसनी है , सोशल मीडिया स्तब्ध  है और उदारवादी मीडिया ऐसे मतान्ध हो गयी है मानो उन्होंने दशकों से चली आ रही लड़ाई जीत ली हो .

वे ( लिबरल मीडिया ) वाले ये सुनिश्चित करने में लगे हैं की नरेंद्र मोदी की बीजेपी इन दो दलित विरोधी घटनाओं के बाद उत्तर प्रदेश के चुनाव  हार जाए . स्वतंत्र भारत में मीडिया द्वारा बनाया गया ये सबसे घिनौना और बकवास प्रोपोगंडा है

दया शंकर जो ज़मीन से जुड़े हुए एक स्थानीय नेता नेता हैं और जो बीजेपी के उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष पद तक जा पहुंचे हैं ने कुछ दिन पहले एक रैली में कहा की “ जो टिकट मायावती जी सुबह एक करोड  में बेचती हैं दोपहर होते होते वही टिकट दो करोड़ में तो शाम होते होते तीन करोड़ में बेच देती हैं , ऐसा तो वेश्या भी नहीं करती”

कुछ ही घंटों में उनके भाषण का ये भाग वायरल हो गया , इतना ज्यादा की बसपा सुप्रीमो , जो की उस समय राज्यसभा में थी को उनके पार्टी के लोगों ने आ कर मोबाइल पर इस विडियो क्लिप दिखाया  . क्लिप देखते ही उनके अन्दर का राजनेता जाग गया , वे भड़क गयी और उन्होंने इसे अपना अपमान बताते हुए  एक खतरनाक भाषण दे दिया और भाषण के अंत में उन्होंने अपने आप को देश के वंचितों और दलितों की देवी बता दिया

स्क्रॉलिंग न्यूज़ हेड लाइन बन गया , लिबरल मीडिया द्वारा प्राइम टाइम पर दर्शकों को अँधा और बहरा बनाने का खेल शुरू हो गया. भाजपा को 2017 के उप्र चुनाव में हराने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुवात हो गयी . एक हैडलाइन चिल्लाया … “ ऊना व दयाशंकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा का नाश कर देगा “ तो दूसरा हैडलाइन चिल्लाया “ क्या भाजपा , उत्तरप्रदेश की लड़ाई शुरु होने से पहले ही हार गयी ?”

सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिंन बसपा के अति उत्साही, असभ्य और   अशिक्षित समर्थकों ने  राज्यसभा में दिए गए मायावती के भाषण से उत्साहित हो कर स्वतंत्र भारत के मानव सभ्यता की सभी सीमाओं को तार तार करते हुए उप्र में  रैली कर दयाशंकर को अपनी  माँ , बीवी  और 12 वर्ष की बेटी को उनके उपभोग करने के लिए पेश करने को कहा .

कक्षा 7 में पढने वाली दया शंकर की बेटी,  अपनी माँ दादी और खुद को पेश होने और वेश्या बनाने की बात सुन कर सदमे में चली गयी , हजारों निर्दोष बसपा समर्थकों ने अपने नेताओं द्वारा दिए गए एक से बढ़ कर एक गंदे नारों को रैली में बार बार लगाया . जी हाँ मैं उनको निर्दोष ही कहूँगा क्यूंकि मैं खुद एक हिन्दू हूँ और मैं किसी हिन्दू के द्वारा ऐसे घिनौने नारों को लगाने की बात सोंच भी नहीं सकता हूँ , इस रैली के बाद हर बसपा हिंदू समर्थक के घर में स्थिति की कल्पना कर रहा हूँ, की क्या उनकी माँ बीवी और बेटियां भले ही वे दलित , बैकवर्ड या सवर्ण हों,  इस रैली में लगे नारों से वे मर्माहत नहीं हैं ?

इस रैली के बाद निश्चित तौर पर कहा जा सकता है की बसपा ने अपना लाखों वोट खो दिया

जहाँ तक दयाशंकर के बयान की बात है , मुझे समझ में नहीं आता की उन्होंने कितना गलत कहा ? उन्होंने तो मायावती की सच्चाई बताई है , मायावती जी का इतिहास बताता है की वे सीट बेचने में बहुत ही पारंगत हैं . हाँ दयाशंकर जी के शब्दों का चयन भले ही गलत हो सकता है पर क्या किसी ने दयाशंकर जी के बयान को ध्यान से सुना ? उसमे उन्होंने कहीं भी मायावती जी को वेश्या नहीं कहा है . हमलोग साधारण बोलचाल में भी सभी भ्रष्ट राजनेताओं को वेश्या से भी बदतर कहते हैं. अगर हम सोशल मीडिया पर एक घंटा भी बिताएं तो हजारो ऐसे उदाहरण मिलेंगे जहाँ भ्रष्ट राजनेताओं को वेश्या से भी बदतर कहा गया है

जदयू के संस्थापक सदस्य ने स्मृति ईरानी के लिए सदन में कहा था “ हम जानते हैं , तुम कौन हो ? , संजय निरुपम ने भी स्मृति के लिए “ ठुमके वाली “ शब्द का इस्तमाल किया था. इन बातों को नज़र अंदाज भी कर दे तो सोशल मीडिया के लाखों ब्लॉग और पोस्ट ऐसे मिल जायेंगे जहाँ स्मृति जी को सीधे तौर पर वेश्या या मोदी की रखैल कहा गया है, स्मृति इतने गुस्से में थीं की वे बिहार के शिक्षा मंत्री के ट्वीटर पर मामूली डियर संबोधन पर भड़क गयीं. जहाँ तक मेरा मानना  है की PM ने उनको HRD मंत्रालय में बहुत बढ़िया काम करते रहने के बाद भी शिफ्ट कर दिया क्यूंकि वे सोशल मीडिया पर एक सॉफ्ट टारगेट बन गयीं थी और वे भावुकता में आ कर ऐसे हमले का ज़वाब दे रहीं थी.

अब मैं आपको विस्तार से बताता हूँ की शरद यादव और संजय निरुपम ने जो स्मृति के लिए कहा था उसका मतलब क्या है  ….  शरद यादव जी का कहना था की मैं जानता हूँ की तुमने पहले रोल के लिए खुद को बेचा और अब इस प्रतिष्ठित पद के लिए खुद को बेच दिया है. संजय निरुपम के कहने का मतलब था की तुम एक वेश्या नर्तकी हो, हिंदी बेल्ट में “ठुमकेवाली” उस वेश्या को कहा जाता है जो पहले तो नाच  गा कर लोगों का दिल बहलाती है फिर जो सबसे ज्यादा बोली लगाये उसके साथ सोती है .

सोंचिये इस तरह के आक्षेप संसद में एक कैबिनेट मिनिस्टर पर किये गए जिसे हम लोकतंत्र का मन्दिर कहते हैं .

बीजेपी और स्मृति ने इन आरोपों और आक्षेपों पर क्या एक्शन लिया ?

शांति !!! संपूर्ण चुप्पी!!!! कोई विरोध नहीं !! कोई पुलिस केस नहीं !!! कोई धरना नहीं !!! कोई राजनीतिक लाभ नहीं !!! कुछ भी तो नहीं!!!!! बिल्कुल कुछ नहीं!!!

लेकिन बसपा के समर्थकों ने उस भाजपा के एक जमीन से जुडा  कार्यकर्त्ता जो उप्र का उपाध्यक्ष भी था के साथ क्या किया ?

उन्होंने उसकी माँ बीवी और 12 साल की बेटी को अपने समक्ष पेश करने को कहा , ताकि उन्हें वेश्या बनाया जा सके और हमारी लिबरल मीडिया इस घिनौने बात पर चुप्पी साधे हुए है ….. बिलकुल चुप है  !!!

और मायावती जी की अपने समर्थकों के बचाव में घटिया प्रतिक्रिया ये है की दयाशंकर के घर वालों को पता चलना चाहिए था की की किसी महिला को वेश्या कहने का क्या नतीजा होता है उन्हें बिलकुल भी पछतावा नहीं है की उनके समर्थकों ने किसी की  माँ , बीवी और 12 साल की बच्ची  को सेक्स के लिए खुले आम नारे लगाये , ये उस पार्टी की सुप्रीमो हैं जो कम से कम 3 बार उत्तरप्रदेश की सत्ता संभाल चुकीं हैं , ये वो नेता हैं जो देश की पहली दलित प्रधानमन्त्री बनने की आकांक्षा पाले हुए है और खुद को देश के पिछड़ों और दलितों की देवी मानती हैं .

तुलना देखिये :- एक पार्टी अपने इमानदार और वफादार कार्यकर्ता को उसके गलत शब्दों के चयन के लिए तुरंत बर्खास्त कर देती है तो वहीँ दूसरी पार्टी की सुप्रीमो अपने कार्यकर्ताओं को सपोर्ट करती हैं जबकि उनके समर्थकों ने खुले आम एक परिवार की महिलाओं को अपने समक्ष पेश करने और उन्हें वेश्या बनाने की बात की .

हमारा दिल और दिमाग दोनों दयाशंकर जी की माँ , बीवी और बेटी के साथ है , हिन्दुस्तान के समस्त हिन्दू चाहे वो दलित, BC हों या सवर्ण हों , सभी आपके साथ हैं , किसी की मजाल नहीं हो सकती जो आपका बाल भी बांका कर सके …..  जय हिन्द , वन्दे मातरम्

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