क्या है रे तू मीडिया?

Photographers and video cameramen gather outside the special court in Mumbai May 18, 2007. The court on Friday commenced sentencing against the 100 people found guilty of involvement in the 1993 bombings in Mumbai which killed 257 people. REUTERS/Punit Paranjpe (INDIA)

क्या है रे तू मीडिया

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ

या लोकतंत्र के आस्तित्व

पर एक कटाक्ष

उपालंभ

तू निर्भय है या लज्जाहीन

तू स्वतंत्र है

या पराधीन

तू नैतिकता का तराजू है

या नैतिकता का अभिनय करता है

तू समाचार है

या अभिमतों का विनिमय करता है

क्या है रे तू मीडिया

अगर जो तू

लोकतान्त्रिक है

निर्भय है

स्वंतंत्र है

नैतिक है

समाचार है

तो फिर क्यूँ

तू आज सनसनी का बाज़ार है

क्यूँ कहता है की भगवों ने हरे को भटका दिया

क्यूँ कहता है की “उन्होंने” याकूब को लटका दिया

वो कौन है, हम कौन है

और सबसे बड़ा सवाल की तू कौन है

हमें नफरत से दूर रहने की सीख देकर

खुद नफरत की दूकान चलाता है

मांस खाए या नहीं

इसे देश का सबसे बड़ा सवाल बनाता है

कहता है की आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है

लेकिन हर दंगाई शायद फिर भी हिन्दू ही होता है

औरंगजेब का नाम हटाने को

अभिव्यक्ति की हत्या बताता है

और प्रताप पर लेख को

शिक्षा का भगवाकरण बताता है

ये दोहरे मापदंड किस लिए है

ये गुस्सा ये घमंड किसलिए है

किसलिए है ये विनाश की योजना

कभी समय मिले तो तनिक सोंचना

गर्दन उठाके देखो कैसे भिड़े हैं

सम्प्रदाय सम्प्रदाय से

चरमरा रही है व्यवस्था

तुम्हारे झूठ के व्यवसाय से

 – कविवर अतुल मिश्रा जी “Frustrated”
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