एक खुला पत्र अरविन्द केजरीवाल के नाम

प्यारे अरविंद केजरीवाल जी,सबसे पहले भक्त का सादर प्रणाम स्वीकार करें. थोड़े नर्वस से दिख रहे हैं? क्या हुआ? क्या कहा? आप ने मेरे पुराने वाले पत्र पढ़ रखे हैं? हीहीहीही जी, अजय देवगन जी और राहुल गाँधी जी दोनो को काफी पसंद आये थे वैसे तो. पर उनकी गलतियाँ तो साफ़ साफ़ दीखती थी, आप क्यों नर्वस हो रहे हैं? अगर आपकी मानी जाये तो आप तो दुनिया के हर गुण की खान हैं, ईमानदारी के जीते जागते प्रमाण हैं.

 

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आज काल आपके बनारस-पर्व की चहुँ ओर चर्चा है . हो भी क्यों ना? देश का सबसे ईमानदार व्यक्ति देश के सबसे ताक़तवर आदमी से सीधे सीधे टक्कर लेने जा रहा है. अच्छा लगा आपकी हिम्मत देख कर. आपका लुंगी वाला अवतार भी देखा जहां आप अपने केश-विहीन छाती का प्रदर्शन कर रहे थे और फोटोग्राफर आपकी तस्वीर निकाल रहे थे. क्या ये मोदी के छप्पन इंच की छाती को चुनौती है? छप्पन और छत्तीस का अनोखा मुक़ाबला, धन्य है बनारस की भूमि.

फिर कुछ लोगों ने आपके उपर काली स्याही फैंकी, अंडे फैंके, गालियाँ बकी और आप एक मजबूत सिपाही की तरह डटे रहे. इन्ही सारी खूबियों की वजह से तो आप पूरे भारतवर्ष के दिल मे बसते हैं. लेकिन जैसा की आपको अच्छी तरह से मालूम होगा की मैं चिट्ठियाँ साधारणतः प्रशंसा करने के लिये नहीं लिखता. तो आप भी इस पत्र को बहन कुमारी मायावती  को पहनाया जाने वाला पचास किलो का पुष्पहार ना समझें. मेरे सवाल बड़ा ही सामान्य और ज़मीनी है.

आप हैं कौन चुनाव लड़ने वाले?

हैं? शकल क्यों बना ली? सीधा सा तो प्रश्न है की आप अपने आप को समझते क्या हैं कि मदारी वाला डुगडुगी-डमरू और साथ मे कुछ बंदरों को लेकर कहीं भी पहुंच जाते हैं. नरेन्द्र मोदी से जलना एक बात है और उनसे मुक़ाबला करना दूसरी बात. आपको हक़ किसने दिया चुनाव लड़ने का?

क्या कहा? भारतीय संविधान ने? आपने एलीजिबिलिटी क्राइटीरिया की भलीभांति जांच कर ली थी? ये बजा फरमाया आपने।

स्वघोषित क्रांतिकारी, संविधान पर तो मैं बाद मे आउंगा, पहले बाकी बातें कर लेते हैं. किसी अंग्रेज़ चिन्तक ने कहा था “उत्तम लोग विचारों की बात करते हैं, मध्यम लोग घटनाओं की और निम्न लोग सिर्फ दूसरे लोगों के बारें मे बात करते हैं” माफ कीजिये हे ईमानदारो के सिरमौर आपके भाषण छींटाकशी और व्यक्तिगत टीका टिप्पणी के अलावा कुछ और नहीं है. मोदी मूर्ख है, मोदी गद्दार है, मोदी बिका हुआ है, मोदी भ्रष्ट है, मोदी हत्यारा है, अरे मोदी क्या है कौन है ये तो जनता समझ ही लेगी, आपकी सरकार क्या झंडे गाड़ेगी वो तो बताईये? क्या कहा? बताया है? कौन सा सिद्धांत? अर्थव्यवस्था पे अपनी राय दी थी आपने एक सम्मेलन में. जी सुना था, आपने कहा था “ माई फिनानसियल विज़न इज़ क्लीन पॉलिटिक्स ” यानी मेरा आर्थिक  दृष्टिकोण है साफ़ राजनीति. अगर दुनिया का बड़े बड़े से बड़ा अर्थशास्त्री भी इस गूढ़ फार्मूले को डिकोड कर पाये तो मैं जीवन आपके चरणों मे बैठ कर बिता दूंगा.

क्या कहा मोदी भी गाँधी परिवार पर छींटाकशी करते हैं? बहुत बढिया कहा आपने एके सर. वाद विवाद की ऐसी ही शैली आपके अंधभक्त( जिन्हे इंटरनेट पर आप्टार्ड नामक अलंकार से अलंकृत किया गया है) भी अपनाते हैं . सही कहा वैसे मोदी जी भी काम छींटाकशी नहीं करते. परंतु सिर्फ छींटाकशी नहीं करते, अपने सिद्धांत, अपने विचार और अपना दृष्टिकोण भी बताते हैं. और उनके पास गिनवाने के लिये गुजरात की उपलब्धियाँ हैं? आपके पास क्या है? डमरू, डुगडुगी, बंदर?

क्या कहा आपने उन्चास दिनो मे वो कर दिखाया जो आजतक नहीं हुआ था?

हाथ जोड़ कर अभिनंदन करता हूँ आपको महाराज. वैसे सच ही कहा उन्चास दिनो की वो नौटंकी “न भूतो न भविष्यति थी”. जहां पर ना काम हुआ, ना वादें…हुआ तो बस धरना. याद है आपने माइक उठाके रामलीला मैदान मे घोषणा की थी “साथियों, ये हमारा आखिरी धरना है, धरने से कुछ नहीं हो सकता. राजनीति की गंदगी, राजनीति के अंदर घूंस के ही साफ़ की जा सकती है ”. जनता बेचारी ने भरोसा कर लिया, सिस्टम के अंदर घुसा दिया, सीएम् बना दिया पर मिला क्या वही धरना.

धरने पे धरना धरने पे धरना धरने पे धरना होता रहा केजरीवाल साहब, काम नहीं हुआ.

 

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क्या कहा? सन्नी देओल पसंद नहीं आपको. हीहीहीही हो भी कैसे? सुना है की शिरोमणी अकाली दल वाले उन्हे लुधियाना से खड़ा कर रहे हैं? अच्छा अच्छा आप जानते हैं. ये भी जानते हैं की श्री मनीष तेवारी अब वहाँ से चुनाव नहीं लडेंगे. कुछ अंदर की जानकारी है क्या? क्या, आपसे डर के भाग गये? पर आपका लुधियाना की सीट से क्या वास्ता? दांत क्यू निपोर रहें हैं? हाहाहा अच्छा खाली पीली क्रेडिट खा रहे हैं, खाईये खाईये. जनता को वैसे भी आदत लग गयी है.

सवाल का जवाब नहीं मिला एके सर . आप हैं कौन चुनाव लड़ने वाले?

क्या कहा? जनता तंग आ गयी है भाजपा और कांग्रेस के गठजोड़ से? आप साफ राजनीति करना चाहते हैं और जो भी वादे दिल्ली एलेक्शन से पहले किये थे वो पूरा करना चाहते हैं. जी जरूर.

आपका पहला वादा था की बेईमान जायेंगे सलाखों के पीछे. आपने तो बक़ायदा शीला दीक्षित जी की तस्वीर भी लगाई थी अपने पोस्टर्स में. क्या शीला जी सलाखों के पीछे हैं? क्या कहा? सबूत नहीं मिले? पर आपने तो साठ पेज का पूरा पुलिंदा बनाया था उनके खिलाफ वो धरती निगल गयी या आसमान खा गया? मोदी के खिलाफ तो गरजते रहे आप, शीला के खिलाफ कुछ क्यों नहीं बोला? और अब उन्हे राजनैतिk प्रतिरक्षा मिल गयी है क्यूंकि वो केरला की नयी राज्यपाल है? देखा कॉंग्रेस का मास्टरस्ट्रोक. क्या आपने इसके खिलाफ धरना किया? चुप्पी सन्नाटा। अब लोग आपको कांग्रेस की B टीम बताये तो क्या गलत है?

और आपका दूसरा वादा था कि दिल्ली को महिलाओं के लिये सुरक्षित बनायेंगे? बनाया क्या? बन गया क्या?

आपकी पार्टी भारतीय तालिबान खाप पंचायत को भारतीय सभ्यता का अंग बताती है. माफ कीजियेगा, भारतीय समाज, संस्कृति और सभ्यता का अध्ययन मैने भी किया है. प्रेमी युगल पे कोड़े बरसाना, सर काटना, जबरदस्ती उनका बलात्कार करवाना ना कभी भारतीय संस्कृति थी, ना है, ना होगी.

और देश के बाकी मुद्दों पे आपकी क्या राय है?

 

पाकिस्तान? चीन?

क्या कहा सौहार्द के माहौल मे सुलझाएंगे मसले? कैसे पाकिस्तान को कश्मीर देकर जैसा की आपके साथी जेहादी भूषण जी कहते हैं?

और आंतरिक मसले कैसे सुलझाएंगे?

माओवादियों की मदद से?

धार्मिक सौहार्द कैसे फैलायेंगे?

तौक़ीर रज़ा से पूछकर?

आर्थिक सुदृढ़ता कैसे लायेंगे?

अंबानी और अदानी को ज़ैल भिजवाकर? और वाड्रा, जिन्दल इनका क्या?

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मीडीया बिकी हुई है?

वही मीडीया जिसने आपको हीरो बनाया और पुण्य प्रसून वाजपयी तो आज भी आपको क्रांतिकारी बना रहे हैं

और संविधान की बात करते हैं?

आपके मंत्री बिना वॉरेंट के छापे मारते थे, और आप उनके लिये धरने करते फिरते थे

क्या ये संविधान सम्मत है?

दिल्ली की पुलिस को स्पेशल पोलीस का दर्ज़ा संविधान ने दिया है, आप इसकी निंदा करते है

क्या ये संविधान सम्मत है?

आपने मुह फाड़ के जनलोकपाल का वादा कर दिया और बिना सदस्यों की सम्मति के बिल पारित करवाना चाहते थे

क्या ये संविधान सम्मत है?

सिर, सवाल इतने हैं कि आपकी ज़िंदगी बीत जायेगी पर जवाब नहीं मिलेंगे. अभी भी वक़्त है चेत जाइये, वर्ना विद्वान से विदूषक बनने मे देर नहीं लगेगी. तमाशा मत कीजिये, काम कीजिये…पब्लिक है सब जानती है.

और फिर मैं तो हूँ ही आपका शुभचिंतक, अच्छा कीजियेगा अच्छा बोलूंगा…बुरा कीजियेगा तो बुरा सपना बनकर हर रात डराऊँगा.

आपका अपना,

दी फ्रस्ट्रेटेड इंडियन

Image courtesy – www.deccanchronicle.com

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