एक खुला पत्र राहुल गाँधी को

प्यारे राहुल भैय्या,

कैसे हो? क्या कहा भैय्या बोला तो अच्छा लगा? वैसे क्या बोलूं उम्र तो आपकी चाचा वाली हो गयी है लेकिन आप देश के सबसे बड़े युवा नेता हैं तो “भैय्या” बुलाना तो बनता है. सबसे पहले दोस्त का अभिवादन स्वीकार करें। पिछली बार अजय देवगन जी को चिट्ठी लिखी थी तो वो नाराज़ हो गए थे, कह रहे थे की भाई तुम्हे कुछ कहना था सीधे स्पष्ट लहजे में कहते। उन्होंने कहा की मै भूमिका बहुत बांधता हूँ। इसलिए इस बार ज्यादा घुमाऊंगा नहीं सीधे सटीक तरीके से बात करूँगा।

बात ये हुई की मै आपके जयपुर चिंतन शिविर वाले भाषण से बहुत प्रभावित हुआ। जैसा की सबने कहा की वो काफी भावुक भाषण था तो मै भी कह देता हूँ की सच में भाषण बहुत ही भावुक था। “मशाल” देखी है? दिलीप कुमार जो रात को चीख रहे थे “ए भाई, अरे कोई है?” वो वाला दृश्य देखा है? नहीं देखा है? अमिताभ जो दीवार में शंकर भगवान् को कहता है “आज खुश तो बहुत होगे तुम” वो वाला दृश्य देखा है? वो भी नहीं? अरे आप रामाधीर सिंह के दोस्त लगते हैं “सनीमा नहीं देखते हैं का?” हीहीही, क्या कहा देखते हैं? कौनसी देखी है? “शूशाइन”? ये कब आई? कहाँ की है? इतालियन क्लासिक है, अच्छा अच्छा? वैसे नाम बढ़िया है सिनेमा का “शू शाइन”, कांग्रेस में चमकाने वाले बहुत बैठे हैं आपके। खैर मै ये कहना चाह रहा था की ये सब भावुक दृश्य भी आपके उस भावुक भाषण के आगे पानी कम चाय है। क्या कह रहे हैं भैय्या? अजय देवगन सही बोल रहा था, मै बहुत घुमाता हूँ, हीहीही, हो सकता है। बातचीत आगे बढ़ाते हैं।

मुझे याद है शायद वो सन 2002 या 2003 था जब आपने कहा था की आपको राजनीति से कुछ ख़ास परहेज़ नहीं है लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं की आप राजनीति में आयेंगे ही। मुझे काफी प्रसन्नता हुई थी। ऐसा है की भारतवर्ष में ऐसी परंपरा है की जो बाप करता है वही बेटे पे थोंप दिया जाता है। रोहन गावस्कर साहब बेहतर गायक या धावक होते पर नहीं उन्हें क्रिकेटर बनाना जरुरी था, आखिर सुनील गावस्कर जी के बेटे थे। अभिषेक बच्चन जी को ही लीजिये, वो शायद बेहतर…वो जाने दीजिये, उन्हें समझ पाना थोडा मुश्किल है। खैर, आप आशाओं के विपरीत राजनीति में आ ही गए। चलिए ठीक है। बिना किसी पद-उपाधि के बावजूद मनमोहन जी आपको काबुल भी घुमा लाये, विदेश नीति सिखाने के बहाने। वो भी ठीक है। परन्तु आपने राजनीति में आने के बाद किया क्या वो तर्कनीय विषय है। क्या कहा? आप कहते बहुत हैं? अच्छा अच्छा कांग्रेस की युवा शाखा का उत्थान किया? हीहीही कम से कम ये तो माना की उसका पहले पतन हो चुका था, तभी तो आपने उत्थान किया। और कैसा उत्थान किया इसपर भी घंटे भर का भाषण हो सकता है। क्या कहा मै बाल की खाल बहुत निकालता हूँ, क्या करूँ पिताजी वकील हैं, ये सब विरासत में मिला है, पर मै आशाओं के विपरीत इंजिनियर बन गया, अब फैसला सही था या गलत ये भी विवादास्पद विषय है।

भैय्या जहाँ से मै आपको देखता हूँ, वहां से मुझे एक राजकुमार दिखाई देता है, जिसे एक विरासत मुफ्त में मिली है। नहीं इसमें कुछ भी गलत नहीं है। परिवार धर्म सबसे बड़ा धर्म है और आपका परिवार इसे भली भाँती निभाता है। परन्तु योग्यता भी तो कोई चीज़ है, ये देश योग्य युवाओं से भरा हुआ है उन्हें एक योग्य नेता चाहिए। और माफ़ कीजियेगा भैय्या पर आपने अपनी योग्यता कभी नहीं दिखाई। दिखाई है कैसे? 2004 से ही चुनाव प्रचार में लगे हैं, उसी साल सतीश शर्मा जी हारे थे ना। फल की चिंता नहीं करते हैं? कर्मयोगी हैं? अगर अभी भगवान् श्री कृष्ण होते तो आपको आउट आफ कॉन्टेक्स्ट कोट करने के लिए स्यु कर देते। उसके बाद भी कई मौके आये आप बिहार गए, नितीश बाबु ने आपको जबरदस्त पटखनी दी। आपके चेले कहते रहे की भाई वोट फोर कांग्रेस, नतीजा? “फोर” ही आयें। नहीं समझे चार सीट ही तो मिला आपकी पार्टी को। उत्तर प्रदेश में बबुआ जी खा गए। तमिलनाडू में युवा कांग्रेस में दाखिले तो बहुत हुए, लेकिन परिणाम संतोषजनक तो नहीं कहे जा सकते।

चलिए चुनाव परिणामों की बात नहीं करते हैं, वो बहुत पेचीदा चीज़ है। मुझे आपकी भूख पे शक है। क्या कहा आप दलितों के घर दबा के खाते हैं? हीहीही वो फोटो तो मैंने देखी है। पर बात यहाँ राजनैतिक भूख की हो रही है। भैय्या मुझे आज तक आप में राजनैतिक भूख नहीं दिखी। आप शकल से इतने संतुष्ट दीखते हैं की क्या कहने। क्या कहा आपसे ज्यादा संतुष्ट गडकरी जी दिखते हैं? एक बात बोलूं अभी तक एक ही पते की बात बोली आपने। मै उनको पत्र लिखना चाहता था, पर डर था की वो उसपे मूंगफली ना खा लें, खाने पीने के बड़े शौक़ीन है गडकरी जी। खैर बात आपकी हो रही थी। दूसरी बात आपकी राजनैतिक मंशा की है, वो दिग्विजय सिंह “साहब जी” के बयानों की तरह पेचीदा है। कोई स्पष्टता नहीं है, पत्रकारों से आप नज़र नहीं मिलाते। सहयोगी दलों से आप के बातचीत की कोई खबर नहीं आती, चरिताख्यान करने वाले आपके पास नहीं फटकते? चरिताख्यान क्या होता है? हीहीही चरिताख्यान मतलब बायोग्राफी, आप संत स्टीफेंस के हिंदी परीक्षा में अनुतीर्ण हुए थे ना? अरे डाँटते क्यूँ है? ऐसा सुब्रमनियन स्वामी जी कहते हैं।

अब बात कुछ हट के, अन्ना हजारे जी याद हैं? अभी पटना में रैली कर रहे हैं। हजारे जी का आन्दोलन हुआ भ्रष्टाचार के खिलाफ। आपकी माता श्री अमरीका में थी और आप मंगल ग्रह पे। एक बार नूरानी चेहरे का दीदार करा देते। क्या कहा समझ नहीं आया? अरे भैय्या तो राशिद अल्वी और शकील अहमद के क़व्वाली कैसे समझते हैं? खैर बात ये है की अन्ना हजारे जी के आन्दोलन के समय जब देश का युवा सडक पर था, देश के युवा नेता की प्रतिक्रिया चाहता था, तब आप अपने मंगलयान से उतरने को बिलकुल तैयार नहीं थे। चलिए रहने दीजिये। देश की एक बेटी का बलात्कार किया गया। उसे नग्न अवस्था में उठा के बस से बाहर फेंक दिया गया था। जनाक्रोश इतना बढ़ा की इंडिया गेट की घेराबंदी हो गयी, आपकी पुलिस ने आंसू गैस के गोले बरसाए, लाठी बरसाए और युवा “हमें इन्साफ चाहिए” के नारे लगाते रहे। इन्साफ नहीं मिला। लाठी के चोट मिले, आप कहाँ थे तब? देश का युवा वहां था, देश का युवा नेता कहाँ था? पहेली है, खैर छोडिये।

बात 2014 की करते हैं, 2014 के लोक सभा चुनावों की। आपकी ताजपोशी को सारे कांग्रेसी तैयार है। मुझे समझ नहीं आता की कोई भी आपको वोट क्यों दे?

1. विदर्भ में किसान मरते रहे, आपकी पार्टी ने बहत्तर हज़ार करोड़ का वादा किया, किसान आज भी राह देख रहे हैं। आपने क्या किया?
2. अडतीस साल की उम्र में पहली बार लोकल ट्रेन पर चढ़े आप भैय्या, और युवाओं के नेता बन गए?
3. आप कहते हैं की देशवासियों का जीवन स्तर सुधारेंगे, कैसे सुधारेंगे ये नहीं बताया?
4. बॉम्बे में बम धमाके हुए आपकी प्रतिक्रिया नदारद, आप स्वयं नदारद।
5. आपके गृह मंत्री हिन्दुओं को आतंकवादी कहते हैं, आपकी प्रतिक्रिया नदारद
6. आपके दुसरे मंत्री हाफिज को “साहब” कहते हैं, आपने खंडन किया नहीं?
7. आपका राजनैतिक अनुभव? शून्य
8. आपका राजनैतिक कद? बौना
9. आपके राजनैतिक सिद्धांत? पता नहीं

क्या कहा मेरा मजाकिया रूप ज्यादा अच्छा था। अरे साधारण आदमी हूँ सरकार, टैक्स चुकता हूँ, महंगाई की मार सहता हूँ, इंडिया गेट पे पुलिस से पिटता हूँ फिर भी घर आके चुटकुले सुनाता हूँ। हँसता हूँ, गाता हूँ। लेकिन अब वोट के महत्व को भी समझने लगा हूँ। ज्यादा क्या कहना, बस इतना की आने वाला वक्त ही बताएगा की क्या करना है? लेकिन कुछ तो करना है ये निश्चय कर लिया है।

आशा है आप बातों को दिल पे नहीं लेंगे, युवा की बातों का बुरा अगर युवा नेता मानने लगा तो देश का क्या होगा हीहीही !

– धन्यवाद

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